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इक अर्सा बीता पर तू हमारा नहीं हुआ
भाए जो आँखों को वो नज़ारा नहीं हुआ
तू डूबता रहा मैं सहारा नहीं हुआ
तेरे लिए नदी का किनारा नहीं हुआ
हम ज़िन्दगी बनें कई लोगों की याँ मगर
अफ़सोस कोई शख़्स हमारा नहीं हुआ
बैदाद मेरे साथ हुआ है मैं क्या करूँ
मैं आसमाँ बना तू सितारा नहीं हुआ
तज़लील तो हुई है सो गर्दिश में आ गया
मैं इसलिए कभी भी तुम्हारा नहीं हुआ
- Achyutam Yadav 'Abtar'
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